ऑटिज्म (स्वलीनता) से जूझते 2 साल के अर्चित देव की जिंदगी विवशता से भरी होती, अगर उसके पिता ने स्टेम सेल का सहारा लेकर इलाज कराने की ना सोची होती.
गाजियाबाद के रहने वाले अर्चित किसी से नजरें नहीं मिला सकता था, किसी से बात नहीं कर सकता था, यहां तक की एक जगह बैठ भी नहीं सकता था. लेकिन करीब एक साल चले इलाज के बाद अर्चित अपना ध्यान आसानी से क्रेंद्रित कर पाता है. अब उसे नाम भी समझ आते हैं और निर्देशों को भी याद रख पाता है. ताज्जुब तो इस बात का है कि वो खुद नए खेल इजाद भी करता है. इस आश्चर्यजनक सुधार के गवाह अर्चित के माता पिता इसका श्रेय स्टेम सेल थेरेपी को देते हैं. अरविंद, जो कि एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, बताते हैं कि उनका बेटा बिलकुल नॉर्मल पैदा हुआ था. वो तो खुद इस बात से सकते में आ गए थे कि अर्चित स्वलीनता का शिकार था. उन्होंने कई डॉक्टर को दिखाया और सबने व्यवहारिक थेरेपी, स्पीच थेरेपी, होम्योपैथिक आदि का सुझाव दिया, लेकिन किसी ने भी पूरे ट्रीटमेंट की गारंटी नहीं ली.
अरविंद ने बताया, ‘मैं एक संभव इलाज के बारे में इंटरनेट पर खोजता रहता था. फिर हमें स्टेम सेल ट्रीटमेंट के बारे में पता चला. दुर्भाग्यवश भारत में ये प्रकिया उपलब्ध कराने वाले अस्पताल या डाक्टर ज्यादा नहीं हैं. स्टेम सेल को ‘मदर सेल’ कहते हैं जो जन्म के बाद शिशु की नाभी से जुड़ी हुई नली के खून में पाए जाते हैं. साल 2014 की शुरुआत में अर्चित का पहला सेशन हुआ था.
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